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Tuesday, February 4, 2020

बचपन के रिश्ते



एक ही माँ बाप की 
पैदाइश 
एक साथ खेले 
बड़े हुए 
रोटियाँ बांटी 
ख़ुशियाँ और ग़म 
बांटा 
लड़ाई झगड़े किये 
पर हर बार साथ हो लिए 
कभी किसी को अपने 
बीच न आने दिया 

जब बड़े हो जाते हैं 
तो समझदारी भी 
बढ़ जाती है
रिश्ता और आपसी 
समझ और मजबूत 
हो जानी चाहिए 
पर जैसे जैसे बड़े होते हैं 
जाने क्यों बचपन के रिश्तों में 
सेंध सी लग जाती है 
एक दूसरे से कटने लगते हैं 
रिश्ते की ऊष्मा कहीं 
खो सी जाती है
दुनिया भर की बातें 
उलाहने बीच में आ जाते हैं 

अपनी अपनी अलग दुनिया 
बसा लेते हैं 
और बचपन के प्यार और 
साथ को जाने क्यों 
भूल जाते हैं 

#रेवा

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (05-02-2020) को    "आया ऋतुराज बसंत"   (चर्चा अंक - 3602)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. समय का चक्र बदलता रहता है,जहाँ रिश्ते भी रिसने लगते हैं

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