क्या लिखूँ आज ?
मौसम का हाल या
प्यार का बुखार ,
दोस्ती का खुमार या
रिश्तों की गुहार ,
ज़िन्दगी के ताने बाने या
अनकही जज्बातें ,
या तेरी मेरी मुलाकातें
आज शायद कुछ नहीं क्युकी ,
जितनी भी कोशिश कर लो
रह ही जातें हैं
अपने कुछ अधलिखे ख्याल
जो चाह कर भी इन पन्नों पर
शब्द बन कर संवर नहीं पाते
और दे देते हैं एक अतृप्ति का भाव /
रेवा
मौसम का हाल या
प्यार का बुखार ,
दोस्ती का खुमार या
रिश्तों की गुहार ,
ज़िन्दगी के ताने बाने या
अनकही जज्बातें ,
या तेरी मेरी मुलाकातें
आज शायद कुछ नहीं क्युकी ,
जितनी भी कोशिश कर लो
रह ही जातें हैं
अपने कुछ अधलिखे ख्याल
जो चाह कर भी इन पन्नों पर
शब्द बन कर संवर नहीं पाते
और दे देते हैं एक अतृप्ति का भाव /
रेवा
यह अतृप्ति के भाव ही टोलिखा देते हैं कुछ भी ।
ReplyDeleteaati sunder. maan ko choo lene wali baat.
Deletesach rewa kabhi kabhi shbdo ka milna aur unko vyakt karna mushkil hota hai ..kya likhu bahut khub likha aapne
ReplyDeletebahut badhiyaa ...
ReplyDeleteमुझे भी लिखने को कुछ नहीं मिला
ReplyDeleteजो लिखा ,वो व्यक्त कर कर गया तुम्हारे भाव :-)
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
kuch na likh kar kuch likh diya
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है बहुत अच्छे से
ReplyDeleteबहुत कुछ लिख दिया
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति बहुत सही लिखा है
ReplyDeleteNicely expressed.
ReplyDeletevinnie
सब कुछ कहाँ लिख पाते हैं...यह अतृप्ति की भावना ही तो प्रेरणा है आगे लिखने की...बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteकुछ भी लिखिए ....जो भी लिखेंगे सुन्दर ही लिखेंगे
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत....
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