क्या तुम्हे पता है
तुममे तुमको मैं कितना
तलाश करती हूँ आजकल ,
कहीं गुम से गए हो
क्यों कहाँ कैसे
पता नहीं ?
मैंने तो तुममे खो कर
अपना वजूद पाया ,
पर तुमने तो खुद को ही
खो दिया ,
पर मैं भी हार नहीं मानने वाली
तुम्हे तुमको लौटा कर ही
दम लुंगी ,
आखिर इसमे मेरा भी तो स्वार्थ है ,
"तुम्हे तुमको लौटा कर
मुझे मैं मिल जाऊँगी "
रेवा
तुममे तुमको मैं कितना
तलाश करती हूँ आजकल ,
कहीं गुम से गए हो
क्यों कहाँ कैसे
पता नहीं ?
मैंने तो तुममे खो कर
अपना वजूद पाया ,
पर तुमने तो खुद को ही
खो दिया ,
पर मैं भी हार नहीं मानने वाली
तुम्हे तुमको लौटा कर ही
दम लुंगी ,
आखिर इसमे मेरा भी तो स्वार्थ है ,
"तुम्हे तुमको लौटा कर
मुझे मैं मिल जाऊँगी "
रेवा
सुंदर भावाभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeletebhtreen
ReplyDeleteek jabardast aatmvishwaas
ReplyDeleteमन के भाव और शब्दों का साथ ..बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दरतम प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeletesundar rewa sundar
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