ये आँसू भी अजीब है
आँखों के कैदखाने मे
उम्र भर कैद रहते हैं ,
फिर बिना आगाह किये
मन के भावों को पढ़
खुद को आज़ाद
कर लेते हैं ,
इतने छोटे से कैदखाने मे
इतने सारे आँसू
एक साथ रहते हैं ,
फिर बिना आगाह किये
मन के भावों को पढ़
खुद को आज़ाद
कर लेते हैं ,
इतने छोटे से कैदखाने मे
इतने सारे आँसू
एक साथ रहते हैं ,
और इतनी ईमानदारी से
ताउम्र दर्द के साथ
अपना रिश्ता निभाते हैं ,
क्या ये हमे ज़िन्दगी की
बहुत बड़ी सीख नहीं देते ?
रेवा
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , आपने मुहम्मद रफ़ी के गाये गीत की याद दिलवा दी ..." ये आंसू मेरे दिल की जुबान है ...."
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
sach ka sundar bhavo ke sath sundar rachna
ReplyDeleteसच कहा आपने
ReplyDeleteबहुत गहन भावपूर्ण प्रस्तुति
khubsurat abhiykti
ReplyDeleteआंसुओं से सीख लें???
ReplyDeleteअरे मुस्कुराहटें कुछ नहीं कहतीं क्या???
(आज भावुक होने का जी नहीं रेवा :-)
ढेर सा प्यार..और मुस्कुराहटें...
अनु