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Thursday, June 6, 2013

एक्सपायरी डेट




मुझे लगा था
ताउम्र निभा लुँगी ये रिश्ता ,
जैसे हर बात तुमसे
साँझा किया है आज तक 
आगे भी करुँगी 
पर शायद नहीं ,
कितने दिन चलता तुमसे 
ये बातों का सिलसिला  ?????
कभी तो ख़त्म होना था न 
मैं ही भूल गयी थी की 
हर चीज़ की उम्र होती है 
उसके बाद वो काम नहीं करती ,
जैसे हर चीज़ की
एक्सपायरी डेट होती है 
शायद आजकल रिश्ते भी 
एक्सपायरी डेट के साथ बनते हैं। 

रेवा 





6 comments:

  1. वाह रिश्तों की नयी परिभाषा गढ़ दी है आपने
    वाकई अब रिश्ते समय के साथ ख़तम हो जाते हैं
    भावुक अनुभूति
    सादर

    आग्रह है
    गुलमोहर------



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  2. रिश्तों की नई परिभाषा अब समझनी होगी

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  3. bhale date expire ho jaaye rishte ki khushbu bani rehti hai jaise phool ke jaane ke baad bhi bani rehti hai........ rishtey phool ki tarah hote hain...

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  4. काश सच में ऐसा हो पाता .........

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  5. काश रिश्तों की एक्सपायरी डेट का पता होता तो व्यक्ति उसके टूटने पर इतना दुखी नहीं होता...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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