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Friday, July 5, 2013

छोटी सी बूंद

कविता के सागर मे
जब गोता लगाया तो
पाया की इस गहरे सागर में
बहुत कुछ छिपा है,
कई सीप
कुछ छोटे, कुछ चमकीले
और कईयों के अन्दर मोती भी मिले ,
सागर मे आती लहरों
और नदियों को देखा और जाना
तो लगा की
इस सागर मे तो मैं
एक छोटी सी बूंद हूँ
जो अपना अस्तित्व
तलाशने की जद्दो जेहद मे लगी है ,
इस आशा मे की शायद कभी
वो भी एक लहर बन जाये /


रेवा


18 comments:

  1. वाह..
    एक बूंद पानी में टपकी
    लहरों का दायरा बनता चला गया
    सादर

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  2. बहुत सुन्दर...एक एक बूँद से ही सागर बनता है...

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  3. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए शनिवार 06/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. सागर में तो पूरी नदी की आत्म-हत्या हो जाती
    कौन बूंद अपने अस्तित्व को तलाश ले
    जिगर को दाद देती हूँ .....
    और दुआ कि अपनी मनोकामना पूरी कर सको
    हार्दिक शुभकामनायें

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  5. थोड़े शब्दों में बहुत ही बड़ी बात कह दी आपने......बहुत अच्छी लगी यह नज़्म

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  6. बहुत सुंदर ....ज़रूर बनेगी लहर ....
    शुभकामनायें ...

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  7. बहुत सुन्दर रचना

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  8. "'अस्तित्व तलाशने की जद्दोजहद ""
    ......संभव भी हैं यदि बूँद मैं एकाकार होने का सामर्थ्य और आकांक्षा दोनों ही हो तो।।।
    रचना के लिए बधाई

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  9. bahut sunder rachna Rewa...bahut khoob

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  10. जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है

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  11. बूँद बूँद से सागर है....
    हर बूँद का अपना अस्तित्व और अपना स्थान है...

    सुन्दर भाव..
    सस्नेह
    अनु

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  12. बहुत ही सुन्दर कोमल भाव लिए रचना..
    अति सुन्दर....
    :-)

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  13. सुन्दर पंक्तियाँ!
    सच में, इस गहराई का अपना ही आनंद है- एक अस्तित्व और अभिव्यक्ति की तलाश पूरी होती है यहाँ।
    हलचल के माध्यम से पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर. अच्छा लगा।
    सादर
    मधुरेश

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  14. aap sab ka bahut bahut shukriya ....yahan aane aur padh kar comment karne ka abhar

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  15. सुन्दर भावपूर्ण रचना

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