जीवन साथी जब दूर हो तो ,
कभी कभी मन को
समझाना आसां लगता है
पर खुद को समझाना
बहुत मुश्किल ,
हम सबको धोखा
दे सकते हैं
पर अपने आप को नहीं ,
दिन तो निकल जाता है
पर शाम होते ही ,
यादों के साये
घेर लेते हैं
आँखे बरबस
भीग जाती है ,बाहें आलिंगन को
तरसने लगती है ,
मन, दिल ,आत्मा
सब रुदन करने
लगते हैं ,
उस एक पल ऐसा
महसूस होता है
मानो
सारी दुनिया बेकार है ,
पर फिर भी
जीना पड़ता है ,
तड़पते एहसासों
के साथ।
रेवा
मन को भिगोती मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीयचर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteAbhar ravikarji
Deleteमार्मिक रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : पलाश के फूल
बहुत मर्मस्पर्शी...
ReplyDeleteकोमल भावसिक्त रचना..
ReplyDeletehttp://mauryareena.blogspot.in/
beautiful touching poem Rewa...keep t up dear
ReplyDeleteLife is God"s gift , cherish it.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एहसासों और शब्दावली के साथ रची गई बेहतरीन रचना
ReplyDeleteतड़पते एहसास ..........
ReplyDeleteये दूरियाँ,ये बेचैनियाँ,ये तड़प......जीते रहने से ही तो मिटेंगी :-)
ReplyDeleteसस्नेह
अनु