ह्रदय और मन की
ये कैसी है संधि ,
दोनों ने आपस मे
कर ली है जुगलबंदी ,
समझ ने भी ऐलान
कर दी है बंदी ,
आँखों ने ठान लिया है
देगा उनका साथ ,
एहसासों ने भी
मिलाया इनसे हाँथ ,
कोशिशे हो रही नाकाम
लगता नहीं ये काम है आसान ,
मन तो होता रहेगा अधीर
पर मुझे भी धरना होगा धीर ,
हालात कभी नहीं होते एक से
हर समय होता है अस्थायी ,
बस यही बात अब
मन मे आयी।
रेवा
Bahut khoob...
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सही बात हालात और समय हमेशा एक से नहीं रहते..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव अभिव्यक्ति...
:-)
बहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteये हुई न बात समझदारो वाली
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeletesuper.....loved reading it Rewa..
ReplyDeletethanx a lot vasu di
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya.....nav varsh mangalmay ho
ReplyDelete.बेहतरीन भाव संयोजन।
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