गीता बार बार रो रही थी ,
"पिताजी मैं नहीं पहनूँगी ये जोड़ा "
मुझे माँ को बहनो को और आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाना ,
पर बलवंत नहीं माना ,
चिल्लाते हुए बोला " एक एक कर के हाँथ पीले नहीं करूँगा तो कब तक तुम ४ बहनों को पार लगाउँगा "
चुप - चाप पेहेन ले।
गीता लाख गिडगिडायी पर उसकी एक न चली , जोड़ा पहनते हुए
उसे ये डर भी सताने लगा की जैसा उसके साथ हो रहा है ,
उसकी तीनो बहनों के साथ न हो।वो अपनी बहनों की तरफ देखने लगी उनके मासूम चेहरों ने ,
उसमे एक अजब से विश्वाश को पैदा किया
और मंडप मे जाने से पहले गीता ने भगवान के सामने हाँथ जोड़ कर प्रण लिया
"मेरे साथ जो अन्याय हो रहा है वो मैं अपनी बहनों के साथ कभी नहीं होने दूंगी "
अब ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य् है।
इतना कह कर एक दृढ निश्चय के साथ चल पड़ी।
रेवा
"पिताजी मैं नहीं पहनूँगी ये जोड़ा "
मुझे माँ को बहनो को और आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाना ,
पर बलवंत नहीं माना ,
चिल्लाते हुए बोला " एक एक कर के हाँथ पीले नहीं करूँगा तो कब तक तुम ४ बहनों को पार लगाउँगा "
चुप - चाप पेहेन ले।
गीता लाख गिडगिडायी पर उसकी एक न चली , जोड़ा पहनते हुए
उसे ये डर भी सताने लगा की जैसा उसके साथ हो रहा है ,
उसकी तीनो बहनों के साथ न हो।वो अपनी बहनों की तरफ देखने लगी उनके मासूम चेहरों ने ,
उसमे एक अजब से विश्वाश को पैदा किया
और मंडप मे जाने से पहले गीता ने भगवान के सामने हाँथ जोड़ कर प्रण लिया
"मेरे साथ जो अन्याय हो रहा है वो मैं अपनी बहनों के साथ कभी नहीं होने दूंगी "
अब ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य् है।
इतना कह कर एक दृढ निश्चय के साथ चल पड़ी।
रेवा
काश की हर नारी जाग उठे ...
ReplyDeleteammen
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक लघु कथा...
ReplyDeleteShukriya kailashji
ReplyDeleteकुछ शब्दों की शक्ल में एक पूरा भाव , सराहनीय लघु कथा
ReplyDeleteshukriya aseem ji
Deletechand shabdo main bahut kuchh kah dala....keep writing friend
ReplyDeleteShukriya vasu di
ReplyDeleteबाल विवाह जैसी कुप्रथा पर आपने बहुत ही सार्थक रचना पेश की है। धन्यवाद।
ReplyDeleteblog par swagat hai shukriya apka
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