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Monday, June 11, 2018

प्यारी सी बच्ची



कभी कभी
मैं सोचती हूँ
उस प्यारी सी
बच्ची की बारे में
जिससे मिली थी
कुछ महीनों पहले

जो रहती है
एक कसबे में
जो ज्यादा पिछड़ा
नहीं है ,
जहाँ बात
करने के लिए
मोबाइल उपलब्ध है
और इन्टरनेट भी है
पर लड़कियों को इन्टरनेट जैसी
सुविधाओं से दूर रखा जाता है

अपने समाज को
लेकर सजग
पर समाज की वजह से
न मिलने वाली
सुविधाओं के प्रति
आक्रोशित थी

उसकी आँखों में
जुनून सा तारी था
कुछ कर गुजरने की ललक थी
साथ ही अपने को
औरों के बराबर
खड़ा करने की चाह थी
सपने छोटे
पर बहुत सारे थे
जिनसे वो बिलकुल
समझौता नहीं
करना चाहती थी

उसे मैं
आज तक नहीं भूल पाई
और भूलना चाहती भी नहीं
क्योंकि उसकी आंखें
उसकी बातें
और लड़ने का जुनून
मुझे उम्मीद की किरणों
से मुलाकात करवाती है!!

रेवा


4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-06-2018) को "मौसम में बदलाव" (चर्चा अंक-2999) (चर्चा अंक-2985) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. प्यारी बच्ची सचमुच प्यारी लगी।

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