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Thursday, July 12, 2018

प्यार का एक और रूप




होता है ऐसा भी
के कोई प्यार
जता जता के
हार जाता है

पर हम उससे
प्यार करते हुए भी
उसकी
कद्र नहीं कर पाते
और अपने प्यार की
गहराई
समझ नहीं पाते

शायद मन के
कोने में ये बात
रहती है की
वो कहाँ जाने वाला है
प्यार करता है न
जब चाहूँ मिल जायेगा
मुझे

पर जब हालात
बदलते  हैं
और वो प्यार वो साथ
छूट जाता है
तब
आंसुओं के सैलाब के
अलावा कुछ नहीं बचता

#रेवा 

15 comments:

  1. प्यार कोई सौदा तो नहीं जो जब चाहे खरीद लाये उसे। सौदा बराबर का हो तो कोई दिक्कत नहीं वर्ना पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता
    मनोभावों की सुन्दर प्रस्तुति

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  2. शुक्रिया कविता जी

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. नमस्ते ....शुक्रिया

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  4. आदरणीय रेवा जी ,बहुत ही अनमोल बात लिखी आपने।सचमुच जब समय रेत की तरह फिसल जाता हैं कहीं जाकर मन जान पाता है कि कोई कितना अनमोल था ।

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    1. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ....बहुत शुक्रिया

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  5. बहुत गहराई से विश्लेषण कर रचा काव्य बहुत सुंदर

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    Replies
    1. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत .....बहुत शुक्रिया

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (14-07-2018) को "सहमे हुए कपोत" (चर्चा अंक-3032) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. सुन्दर रचना

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