जब पहली बार
थामा था तुमने मेरा हाथ
हम दोनों कि रेखाओं की
भी हुई थी वो पहली मुलाकात
थामा था तुमने मेरा हाथ
हम दोनों कि रेखाओं की
भी हुई थी वो पहली मुलाकात
उस दिन से आज तक
रोज़ जब जब वो मिलते हैं
वो एकाकार होते जाते हैं
रोज़ जब जब वो मिलते हैं
वो एकाकार होते जाते हैं
जब जीवन के डगर में
आते है टेढ़े मेढ़े रास्ते
और हम दोनों विश्वास से भरपूर
थामते हैं एक दूजे का हाथ
तब और मजबूत हो जाता है
इन रेखाओं का साथ
आते है टेढ़े मेढ़े रास्ते
और हम दोनों विश्वास से भरपूर
थामते हैं एक दूजे का हाथ
तब और मजबूत हो जाता है
इन रेखाओं का साथ
अब तो ये है हाल
पता ही नहीं चलता कौन सी
रेखा किसकी है
दोनों मिल कर
अब एक समान लकीर
जो बन गयी है
पता ही नहीं चलता कौन सी
रेखा किसकी है
दोनों मिल कर
अब एक समान लकीर
जो बन गयी है
मेरी है बस इक आस
ऐसे ही बना रहे इन
रेखाओं के साथ
ऐसे ही बना रहे इन
रेखाओं के साथ
#रेवा
बहुत सुंदर !!!
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteVery nice post..stay blessed.
ReplyDeletethank u so much
DeleteSunder kavita
ReplyDeleteशुक्रिया di
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआभार
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