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Friday, December 28, 2018

हम❤तुम


दर्द जब करवट 
बदलता था सीने में
और आँखें नम रहती थीं
तब तुम आए थे

दर्द के समंदर से
खिंच लाये मुझे
बैठाया मुझे अपने पास
पूछा दिल की बात
मैं अपनी दर्द की डायरी के
सफे पलटने लगी
और तुम्हें सुनाती रही
कितने दिन तुम बस
मूक सुनते रहे

जब तूफ़ान आता
तो मुझे डूबने से
बचाते रहे
उदास आंखों
को मुस्कान का
लिबास पहनाते रहे
जिस दिन खत्म
हुई वो डायरी
थाम लिया तुमने
सैलाब को
प्यार का मरहम
लगाया
हर ज़ख्म
भर कर उस
पर एहसासों का
इत्र लगा दिया

अब देखो कैसे
खिलखिलाता है
ये दिल, ये आंखें
और हम❤तुम

#रेवा

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29-12-2018) को "शुभ हो नूतन साल" (चर्चा अंक-3200) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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