१. ना आँखों मे कोई ख्वाब है ना धडकनों में कोई गीत
ज़िन्दगी ऐसे जी रहे हैं हम जैसे साज़ बिना संगीत
२. वादा है तुमसे कभी कुछ न छुपायेंगे,
पर अपने मुहँ से कभी कुछ न बताएंगे
पढ़ सको तो पढ़ लो मेरे दिल को
वरना हम यूँही दर्द मे डूबते चले जाएँगे.........
रेवा
प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
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Friday, July 30, 2010
Tuesday, July 27, 2010
इलज़ाम
आज फिर किसी ने मुझ पर यह इलज़ाम लगाया
तुझे अपने दोस्तों की कदर नहीं
ये कह कर दिल दुखाया ,
जब भी कोई रिश्ता बनाया
उसे मैंने सच्चे दिल से निभाया ,
फिर भी हर बार हर जगह
लोगो ने मुझे ही गलत ठहराया ,
कहाँ हो जाती है खता ,ये कभी जान न पाई
पर खुदा को हर बार देती हूँ दुहाई
मुझे ऐसी किस्मत क्यों दी हरजाई /
रेवा
तुझे अपने दोस्तों की कदर नहीं
ये कह कर दिल दुखाया ,
जब कभी होती है ऐसी बात
टूट कर बिखर जाती हूँ मैं ज़ार ज़ार ,जब भी कोई रिश्ता बनाया
उसे मैंने सच्चे दिल से निभाया ,
फिर भी हर बार हर जगह
लोगो ने मुझे ही गलत ठहराया ,
कहाँ हो जाती है खता ,ये कभी जान न पाई
पर खुदा को हर बार देती हूँ दुहाई
मुझे ऐसी किस्मत क्यों दी हरजाई /
रेवा
Thursday, July 22, 2010
मेरी सखी के नाम
आज एक गीत सुना तो ,
अपने बचपन की सहेली की याद
आ गयी
वो मेरी सहेली थी
पर मेरे लिए एक पहेली थी
मानती थी बहुत मुझे ,
चाहती थी हर वक़्त मेरा साथ
कहती थी ,
चाहे कैसे भी हो जाएँ हालात
रहेगी वो हमेशा मेरे साथ ,
पर वक़्त ने ऐसी करवट बदली
बुरी लग गयी उसे कुछ बात
छोड़ दिया साथ ,
तोड़ दिए सब जज्बात ,
बहुत से ख़त लिखे
लाख करी मनुहार
पर पा न सकी उसकी
दोस्ती और प्यार ,
पर आज भी
आँखों में भर कर प्यार
करती हूँ उसका इंतज़ार ....
रेवा
अपने बचपन की सहेली की याद
आ गयी
वो मेरी सहेली थी
पर मेरे लिए एक पहेली थी
मानती थी बहुत मुझे ,
चाहती थी हर वक़्त मेरा साथ
पर छोटी छोटी बातों मे रूठ
जाती थी बिन बात
जाती थी बिन बात
कहती थी ,
ज़िन्दगी की राहों में
न छोड़ेगी कभी मेरा हाथ ,चाहे कैसे भी हो जाएँ हालात
रहेगी वो हमेशा मेरे साथ ,
पर वक़्त ने ऐसी करवट बदली
बुरी लग गयी उसे कुछ बात
छोड़ दिया साथ ,
तोड़ दिए सब जज्बात ,
बहुत से ख़त लिखे
लाख करी मनुहार
पर पा न सकी उसकी
दोस्ती और प्यार ,
पर आज भी
आँखों में भर कर प्यार
करती हूँ उसका इंतज़ार ....
रेवा
Tuesday, July 20, 2010
कुछ पंक्तियाँ
१. अपनी ज़िन्दगी से ज्यादा कोई किसी को नहीं चाहता
और अपनी मौत से ज्यादा कोई किसी से नहीं डरता
२. दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती
दर्द की कोई साज़ नहीं होती
रेवा
और अपनी मौत से ज्यादा कोई किसी से नहीं डरता
२. दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती
दर्द की कोई साज़ नहीं होती
रेवा
Friday, July 16, 2010
अच्छा लगता है मुझे
तेरे खयालों में जीना
तुझमे खो जाना
अच्छा लगता है मुझे ,
तेरी यादों मे रोना
तेरी बातो पे मुस्काना
अच्छा लगता है मुझे ,
तेरे खयालों से प्यार
तेरी बातो पे ऐतबार
अच्छा लगता है मुझे ,
चुप चाप बैठ
तुझे अपने पास महसूस करना
अच्छा लगता है मुझे,
बिन बरसात तेरे
प्यार मे भीग जाना
अच्छा लगता है मुझे ,
तेरे साथ जीना
पर बिन तेरे मर जाना
अच्छा लगता है मुझे l
रेवा
तुझमे खो जाना
अच्छा लगता है मुझे ,
तेरी यादों मे रोना
तेरी बातो पे मुस्काना
अच्छा लगता है मुझे ,
तेरे खयालों से प्यार
तेरी बातो पे ऐतबार
अच्छा लगता है मुझे ,
चुप चाप बैठ
तुझे अपने पास महसूस करना
अच्छा लगता है मुझे,
बिन बरसात तेरे
प्यार मे भीग जाना
अच्छा लगता है मुझे ,
तेरे साथ जीना
पर बिन तेरे मर जाना
अच्छा लगता है मुझे l
रेवा
Wednesday, July 14, 2010
ये क्या काम किया तुने
कल रात बहुत रोई थी
एक मिनट न सोयी थी ,
ह्रदय द्रवित हो रहा था बहा नीर
मन भी खो रहा था धीर,
ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने ......
हर दुआ मे हाँथ उठते है तेरे लिए
दिन के हर पल का एहसास है तेरे लिए
पर ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने..........
तू जो समझे वो तेरी मर्ज़ी
पर मेरी भी है एक अर्जी
तू ये काम न कर ,
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर........
रेवा
एक मिनट न सोयी थी ,
ह्रदय द्रवित हो रहा था बहा नीर
मन भी खो रहा था धीर,
ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने ......
हर दुआ मे हाँथ उठते है तेरे लिए
दिन के हर पल का एहसास है तेरे लिए
ये सांसे भी चलती हैं तेरे लिए
ये तड़प ये कसक है तो वो भी बस तेरे लिए,पर ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने..........
तू जो समझे वो तेरी मर्ज़ी
पर मेरी भी है एक अर्जी
तू ये काम न कर ,
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर........
रेवा
Friday, July 9, 2010
एक छोटी बच्ची की कहानी
घर मे थी वो सबसे छोटी
सांवले रंग रूप वाली बाला,सर पर था लम्बे बालों का घेरा
जिनमे था जुओं का भी डेरा,
हर वक़्त हंसती थी
पर सच्ची दोस्ती को तरसती थी
आंखे बरबस बरसती थी ,
पढने मे थी सामान्य
पर बड़े बड़े थे अरमान,
कोशिश पूरी की
पर पा न सकी
अपनी मंजिल अनजान ,
ब्याह हुआ डोली चढ़ी
फिर जगे अरमान,
रखा सबका ध्यान
सास ससुर को दिया सम्मान
पति को प्यार और मान ,
पर बन न सकी
उसकी दोस्त और जान ,
सच्ची दोस्ती और प्यार को
आज भी तरसती है वो अनजान
आँखे बरबस बरसती है ये मान /
रेवा
Thursday, July 8, 2010
ज़िन्दगी
ये एहसासों ,ख़यालों और वास्तविकता
का कैसा ताना बाना है
जितना सुलझाओ और उलझता ही जाता है ,
एहसास तो इतने ,जितने बूंद समुंदर मे समाये
जितने तारे असमान में जगमगाए ,
ख्याल ऐसे जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आये
जैसे चाँद सामने बैठ मुस्कुराये ,
पर जैसे ही वास्तविकता की धरातल
पर पड़े पांव ,
तो पता चले इस ज़िन्दगी के दांव
देती यह सुख भी दुःख भी
प्यार भी दर्द भी
अपने भी पराये भी
दोस्त भी दुश्मन भी
पर इसी का तो नाम ज़िन्दगी भी है l
रेवा
का कैसा ताना बाना है
जितना सुलझाओ और उलझता ही जाता है ,
एहसास तो इतने ,जितने बूंद समुंदर मे समाये
जितने तारे असमान में जगमगाए ,
ख्याल ऐसे जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आये
जैसे चाँद सामने बैठ मुस्कुराये ,
पर जैसे ही वास्तविकता की धरातल
पर पड़े पांव ,
तो पता चले इस ज़िन्दगी के दांव
देती यह सुख भी दुःख भी
प्यार भी दर्द भी
अपने भी पराये भी
दोस्त भी दुश्मन भी
पर इसी का तो नाम ज़िन्दगी भी है l
रेवा
Wednesday, July 7, 2010
प्रशन ?
भगवान से एक प्रशन है आज
ये शरीर तो दिया ,
इसमे ये दिल क्यों दिया ?
ये दिल तो दिया
इसमे ये एहसास क्यों दिया ?
एहसास तो दिया
प्यार क्यों दिया ?
प्यार तो दिया
दर्द क्यों दिया ?
दर्द तो दिया
उसे सहने की शक्ति क्यों नहीं दी ?
क्यों ?
रेवा
ये शरीर तो दिया ,
इसमे ये दिल क्यों दिया ?
ये दिल तो दिया
इसमे ये एहसास क्यों दिया ?
एहसास तो दिया
प्यार क्यों दिया ?
प्यार तो दिया
दर्द क्यों दिया ?
दर्द तो दिया
उसे सहने की शक्ति क्यों नहीं दी ?
क्यों ?
रेवा
Saturday, July 3, 2010
माना अभी मैं बच्ची हूँ
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ
मगर दिल की बहुत सच्ची हूँ ,
माना के सपने अधूरे हैं
इरादे फिर भी पुरे हैं ,
माना के दूर है अस्मा
पाने का फिर भी है अरमा ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
माना की दुनिया की राहों से अनजानी हूँ
इसलिए तो मैं पागल दीवानी हूँ ,
माना के अपने जिद पर जीना चाहती हूँ
पर सिर्फ प्यार ही पाना चाहती हूँ ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
रेवा
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ
मगर दिल की बहुत सच्ची हूँ ,
माना के सपने अधूरे हैं
इरादे फिर भी पुरे हैं ,
माना के दूर है अस्मा
पाने का फिर भी है अरमा ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
माना की दुनिया की राहों से अनजानी हूँ
इसलिए तो मैं पागल दीवानी हूँ ,
माना के अपने जिद पर जीना चाहती हूँ
पर सिर्फ प्यार ही पाना चाहती हूँ ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
रेवा
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