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Thursday, July 8, 2010

ज़िन्दगी

ये एहसासों ,ख़यालों और वास्तविकता
का कैसा ताना बाना है
जितना सुलझाओ और उलझता ही जाता है ,

एहसास तो इतने ,जितने बूंद समुंदर मे समाये
जितने तारे असमान में जगमगाए ,

ख्याल ऐसे जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आये
जैसे चाँद सामने बैठ मुस्कुराये ,

पर जैसे ही वास्तविकता की धरातल
पर पड़े पांव ,

तो पता चले इस ज़िन्दगी के दांव 
देती यह सुख भी दुःख भी
प्यार भी दर्द भी
अपने भी पराये भी
दोस्त भी दुश्मन भी
पर इसी का तो नाम ज़िन्दगी भी है l 

रेवा

5 comments:

  1. एहसास तो इतने ,जितने बूंद समुंदर मे समाये
    जितने तारे असमान में जगमगाए ...... दिल की गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना , बधाई

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  2. इसी का तो नाम ज़िन्दगी भी ......
    सही कहा इसी का नाम जिन्दगी है ..
    बहुत सुन्दर

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  3. बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है

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