आज एक गीत सुना तो ,
अपने बचपन की सहेली की याद
आ गयी
वो मेरी सहेली थी
पर मेरे लिए एक पहेली थी
मानती थी बहुत मुझे ,
चाहती थी हर वक़्त मेरा साथ
कहती थी ,
चाहे कैसे भी हो जाएँ हालात
रहेगी वो हमेशा मेरे साथ ,
पर वक़्त ने ऐसी करवट बदली
बुरी लग गयी उसे कुछ बात
छोड़ दिया साथ ,
तोड़ दिए सब जज्बात ,
बहुत से ख़त लिखे
लाख करी मनुहार
पर पा न सकी उसकी
दोस्ती और प्यार ,
पर आज भी
आँखों में भर कर प्यार
करती हूँ उसका इंतज़ार ....
रेवा
अपने बचपन की सहेली की याद
आ गयी
वो मेरी सहेली थी
पर मेरे लिए एक पहेली थी
मानती थी बहुत मुझे ,
चाहती थी हर वक़्त मेरा साथ
पर छोटी छोटी बातों मे रूठ
जाती थी बिन बात
जाती थी बिन बात
कहती थी ,
ज़िन्दगी की राहों में
न छोड़ेगी कभी मेरा हाथ ,चाहे कैसे भी हो जाएँ हालात
रहेगी वो हमेशा मेरे साथ ,
पर वक़्त ने ऐसी करवट बदली
बुरी लग गयी उसे कुछ बात
छोड़ दिया साथ ,
तोड़ दिए सब जज्बात ,
बहुत से ख़त लिखे
लाख करी मनुहार
पर पा न सकी उसकी
दोस्ती और प्यार ,
पर आज भी
आँखों में भर कर प्यार
करती हूँ उसका इंतज़ार ....
रेवा
Aah! Bahut sundar!
ReplyDeleteअपने चारों तरफ एक दिवार सी खड़ी
ReplyDeleteकर ली है मैंने.....कोशिश है की एक
भी एहसास बहार न जा पाए .....
तू जैसा देखना चाहता है वैसा ही देख
पाए.. Kya baat hai
Har eshaas ki har kiran tujhse roshan hai,
tumne jab se choo kar mehssos kiya mujhe|rk
She was not your tru frd...........
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