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Tuesday, July 20, 2010

कुछ पंक्तियाँ

१. अपनी ज़िन्दगी से ज्यादा कोई किसी को नहीं चाहता
और अपनी मौत से ज्यादा कोई किसी से नहीं डरता

२. दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती
दर्द की कोई साज़ नहीं होती

रेवा

2 comments:

  1. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

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  2. Dil jab tut ta hai to aawaj to hoti hi hai par sunai sirf torne or tutne wale ko hi sunai deti hai,

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