कल रात बहुत रोई थी
एक मिनट न सोयी थी ,
ह्रदय द्रवित हो रहा था बहा नीर
मन भी खो रहा था धीर,
ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने ......
हर दुआ मे हाँथ उठते है तेरे लिए
दिन के हर पल का एहसास है तेरे लिए
पर ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने..........
तू जो समझे वो तेरी मर्ज़ी
पर मेरी भी है एक अर्जी
तू ये काम न कर ,
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर........
रेवा
एक मिनट न सोयी थी ,
ह्रदय द्रवित हो रहा था बहा नीर
मन भी खो रहा था धीर,
ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने ......
हर दुआ मे हाँथ उठते है तेरे लिए
दिन के हर पल का एहसास है तेरे लिए
ये सांसे भी चलती हैं तेरे लिए
ये तड़प ये कसक है तो वो भी बस तेरे लिए,पर ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने..........
तू जो समझे वो तेरी मर्ज़ी
पर मेरी भी है एक अर्जी
तू ये काम न कर ,
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर........
रेवा
Peeda se sarobaar,bahut sundar abhiwyakti!
ReplyDeletevyatha kah rahi umda rachna..!!
ReplyDeleteमहादेवी से प्रेरणा लीजिए-
ReplyDeleteचिर ध्येय यही जलने का ठंडी विभूति बन जाना
है पीड़ा की सीमा यह दुख का चिर सुख हो जाना
मेरे छोटे जीवन में देना न तृप्ति का कण भर
रहने दो प्यासी आंखें भरती आंसू के सागर
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeletedhanayavad aap sabka
ReplyDeleteमेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
ReplyDeleteye lines kisi sache premi ki kalpana hi lagti hai,
sayad mere pass words nahi hai ye kehne ke liye ki ye dil ko chu lene wali lines hai