बात तो लगभग
रोज़ ही होती है तुमसे ,
पर कभी कभी ऐसी
कुछ बात हो जाती है की,
मन मे एक अजीब सी हलचल
दिल मे गुदगुदी सी
होने लगती है ,
और तब लगता है
मैं हूँ
बिन पंख लगाये
मैं भी आकाश मे
उड़ने का अनुभव
कर सकती हूँ ,
खिली खिली धुप मे भी
सावन की पहली फुहार सा
महसूस कर सकती हूँ ,
ये सिर्फ किताबी बातें नहीं
"प्यार " सच मे हमे
खास होने का एहसास दिलाता है !
रेवा
रोज़ ही होती है तुमसे ,
पर कभी कभी ऐसी
कुछ बात हो जाती है की,
मन मे एक अजीब सी हलचल
दिल मे गुदगुदी सी
होने लगती है ,
और तब लगता है
मैं हूँ
बिन पंख लगाये
मैं भी आकाश मे
उड़ने का अनुभव
कर सकती हूँ ,
खिली खिली धुप मे भी
सावन की पहली फुहार सा
महसूस कर सकती हूँ ,
ये सिर्फ किताबी बातें नहीं
"प्यार " सच मे हमे
खास होने का एहसास दिलाता है !
रेवा
प्रेम में इंसान वो हो जाता है जो कभी नहीं होता ...
ReplyDeleteनए पण का एहसास दिलाती ... सुन्दर रचना ..
बहुत ही सुन्दर अहसास दिलाती रचना,आभार.
ReplyDeleteहर पल के अहसास को उकेरती आपकी ये अहसास मय रचना
ReplyDeleteसच में इन अहसासों की बड़ी ही अजीब दास्ताँ है बड़े निराले होते है ये अहसास
ये सिर्फ किताबी बातें नहीं "प्यार " सच मे हमे खास होने का एहसास दिलाता है !!
ReplyDeleteसच !!
प्रेम के कोमल अहसासों को जीवंत करती बहुत भावमयी रचना..
ReplyDeleteप्रेम के अहसास से भरपूर
ReplyDeleteकोमल एहसास...सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeletesundar ehsaas bahut sundar
ReplyDeleteप्यार के कोमल एहसास को बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने....रेवा जी !
ReplyDeleteएकदम सटीक और सार्थक प्रस्तुति आभार
ReplyDeleteबहुत सुद्नर आभार अपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
एक शाम तो उधार दो
आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे
Antim panktiyaan bahut achchi lagi. Khas hone ka ehsaas .........just loved it.
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ReplyDeleteप्यार तो महा मृत्युंजय मंत्र है
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aap sabka bahut bahut shukriya
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