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Thursday, May 16, 2013

एक पागल लड़की

सच मे वह पागल थी
प्यार के लिए पागल ,
सबसे अलग सांवली सी थी
साधारण रंग रूप
साधारण सपने ,
सबसे बड़े प्यार से मिलती
हर किसी को अपना बना लेती ,
कोई अगर प्यार के दो बोल
बोल दे तो बस
उसके सारे काम
ख़ुशी ख़ुशी कर देती थी ,
पर उस पगली को ये कहाँ पता था
कि उसे कभी प्यार हो जायेगा ,
पागल तो पहले ही थी
अब दीवानी भी हो गयी थी ,
दिलो जान से चाहा अपने प्यार को
बहुत भरोसा किया ,
पर टूट गया भरोसा
प्यार टूटता तो बात अलग थी ,
बिखर गयी
पर टूटी नहीं ,
जीना फिर शुरू किया
ज़िन्दगी तो आज भी जीती है वो
पर सच्चे प्यार को
आज भी तरसती है वो पगली ......


रेवा


11 comments:

  1. Bhavabhivyakti ati sundar hai.
    vinnie

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  2. बहुत ही सुन्दार भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.

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  3. रुलाने का इरादा हो तो पहले से बता दिया करो .....

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  4. भाव प्रधान मर्म स्पर्शी रचना हेतु बधाई
    Sanjiv verma 'Salil'
    salil.sanjiv@gmail.com
    http://divyanarmada.blogspot.in



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  5. अनुपम भाव संयोजन .... मन को छूते भाव

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  6. बहुत सुन्दर भावमयी रचना...

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  7. भाव पूर्ण रचना

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  8. जो पागल होते हैं वही तो प्यार करते है

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  9. मार्मिक और भावपूर्ण रचना
    मन को भेदती हुई
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई


    आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
    http://jyoti-khare.blogspot.in


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