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Saturday, June 29, 2013

न मौत है न ज़िन्दगी

न कोई ख्वाइश है
न ख्वाब
न कोई जुस्तजू है
न आरज़ू  ,
न इल्तेज़ा है
न फ़रमाइश
न दुआ है
न मन्नत ,
न दौलत है
न शौहरत
न प्यार है
न विसाले यार,
हवा ने ऐसा रुख मोड़ा कि
न मौत है
न ज़िन्दगी /

रेवा


11 comments:

  1. Revaji,
    You write very well.
    Vinnie

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  2. सुंदर शब्दों से सुंदर प्रस्तुति

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  3. जब कुछ नहीं है तो बस खुदा है .... बहुत खूबसूरत ख़यालात |

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  4. haawa ne aisa rukh moda....bahut khoob
    touching..

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  5. hawavon ne kuch aisa rukh moda ,bahut sundar

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  6. बहुत सुन्दर...

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  7. वाह! बहुत खूब कही! गहन आत्म-मन्थन.

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