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Thursday, June 28, 2018

त्याग की देवी





हम आम औरतें हैं
त्याग की देवी नहीं....
बंद कर दो हमे
इस नाम से पुकारना

हमारे भी सपने हैं
साधारण ही सही
पर..
क्या सपने 
साधारण होते हैं
कभी छोटे या बड़े होते हैं 
नहीं न 
सपने तो सपने होते हैं
जो हमेशा ही ख़ास होते हैं  ....

हम तुम में से किसी से
कुछ नहीं मांगती
जो और जितना हमारे नसीब में है
वो हमे मिल कर ही रहेगा....
ये हम जानती हैं 
इसलिए गर न मिला तो शिकायत
बस ख़ुद से ही करती हैं 
शायद ख़ुद में ही कोई कमी
रही होगी ....

जो समय की मांग है
जैसी परिस्थितीयाँ होती है
ख़ुद को उनके अनुरूप
ढालना ही समझदारी है
और हम वहीं करने की
कोशिश करतीं हैं

विपरीत समय सब पर आता है
उस समय
हम औरतें
सहनशक्ति रखते हुए
परिवार का साथ पा कर
हँस कर सब झेल जातीं हैं
और सबको हिम्मत भी देती हैं

दुःख हमे भी होता है
जैसे सबको होता है
मन हमारा भी टूटता है
पर हिम्मत बरकरार
रखती हैं हम

इसलिए इतनी सी है इल्तिज़ा सबसे
हम आम औरतें हैं हमे आम ही रहने दो
त्याग की देवी जैसी उपाधियों
से मत नवाजो 

#रेवा
#औरत

5 comments:

  1. सही कहा आपने औरत सहनशील होती है इसलिए हर परिस्थिति में ढ़ल जाती हैं सुंदर रचना

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन टोपी, कबीर, मगहर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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