प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
बेहतरीन रचना रेवा जी
ReplyDeleteधनात्मक सोच की कविता....सुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआभार
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteगजब
ReplyDeleteएक बार जो आड़े आया वो फिर कभी न आया.
सुंदर
अतिसुन्दर
रंगसाज़
शुक्रिया
Deleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 27/09/2018 की बुलेटिन, धारा 377 के बाद धारा 497 की धार में बहता समाज : ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete