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Wednesday, July 14, 2010

ये क्या काम किया तुने

कल रात बहुत रोई थी
एक मिनट न सोयी थी ,
ह्रदय द्रवित हो रहा था बहा नीर
मन भी खो रहा था धीर,

ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने ......

हर दुआ मे हाँथ उठते है तेरे लिए
दिन के हर पल का एहसास है तेरे लिए
ये सांसे भी चलती हैं तेरे लिए
ये तड़प ये कसक है तो वो भी बस तेरे लिए,

पर ये क्या काम किया तुने
प्यार को पीड़ा का नाम दिया तुने..........

तू जो समझे वो तेरी मर्ज़ी
पर मेरी भी है एक अर्जी 
तू ये काम न कर ,
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर........

रेवा

6 comments:

  1. Peeda se sarobaar,bahut sundar abhiwyakti!

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  2. महादेवी से प्रेरणा लीजिए-
    चिर ध्येय यही जलने का ठंडी विभूति बन जाना
    है पीड़ा की सीमा यह दुख का चिर सुख हो जाना
    मेरे छोटे जीवन में देना न तृप्ति का कण भर
    रहने दो प्यासी आंखें भरती आंसू के सागर

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  3. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  4. मेरे प्यार को पीड़ा का नाम न धर
    ye lines kisi sache premi ki kalpana hi lagti hai,

    sayad mere pass words nahi hai ye kehne ke liye ki ye dil ko chu lene wali lines hai

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