शुरुआती दिनों मे
मन अजीब सा हो जाता है
दिल का एक ख़ाली कोना
मन अजीब सा हो जाता है
दिल का एक ख़ाली कोना
सर उठाने लगता है
उसे जितना समझाने की
कोशिश करती हूँ
वो ऊँन के गोले सा
उतना ही उलझता जाता है.....
एक अनभुझ पहेली
सा
हर रोज़ साथ
चलता रहता है
क्या तुम सुलझा
सकते हो ?
भर सकते हो मेरे दिल का
वो खाली कोना ?
करा सकते हो मेरी
शीत की सुबह को
गुनगुनी धूप सा एहसास ???
रेवा