तुम हो , इस बात का
एहसास है मुझे ,
पर क्या बस ये
एहसास काफी है
जीने के लिए ?
शायद तुम्हे ये
पता भी नहीं
की समय के साथ
अपने इस अनदेखी
व्यव्हार से कितनी
दुरी बना ली है तुमने ,
चाहते हुए भी
अपना दुःख ,
अपनी ख़ुशी
नहीं बाँट पाति तुमसे ,
क्युकी तुमने कभी
कोई परवाह दिखाई
ही नहीं , या पता नहीं
मेरी ही समझ मे
कोई कमी रह गयी ,
शायद प्यार भरे
लम्हे , उम्मीद और
परवाह यह सब बचकानी
बातें हो ,
पर मेरे लिए
ये ज़िन्दगी हैं..........
और मेरी ज़िन्दगी
मुझसे कोसों दूर है /
"ज़िन्दगी ज़िन्दगी न रही
एहसासों और ख्वाइशों की चिता बन गयी .........
रेवा