उस भयानक रात को गुजरे
पर क्या कुछ बदला है ?
कैसे बदलेगा ?
क्युकी
गलती तो हमारी है ,
हम घर से बहार
रात हो या दिन अकेले
नहीं निकल सकते ,
क्युकी आज़ाद देश मे
हम आज़ाद नहीं
पर गलती तो हमारी है ,
हम कपड़े पहनते है
पर फिर भी लोग
कपड़ो के निचे का
तन देखते हैं
पर गलती तो हमारी है ,
मोबाइल फ़ोन पर एप्प्स
हाँथ मे चिल्ली स्प्रे लेकर
हम चलते हैं
फिर भी हम सुरक्षित नहीं
पर गलती तो हमारी है ,
इस धरती पर हम जन्मे
घर मे लाड़ प्यार से पले
देवी बन कर पूजे गए ,
जिन हाँथो ने पूजा
उन्हींने फिर अस्मत लुटा
हम लुटे गए उसमे भी
गलती हमारी है ,
ऐ भगवन
नारी रूप मे इस धरती पर
बार बार जन्म देना
ताकि बार बार हम ये
साबित करते रहे की
नारी का जन्म
गलती नहीं है
वो लूट और भोग कि
वस्तु नहीं है,
वो एक शक्ति का स्वरुप है।
रेवा